लघुकथा

लघुकथा-मोल

टी.व्ही. पर एक नामचीन ब्रांड के नमक का विज्ञापन आ रहा था। कोई एक्टर कह रहा था,”आयोडीन, विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर यही है असली नमक की पहचान। –यही नमक खाइये। एक किलो नमक का मूल्य मात्र सौ रुपए ।”
        यह विज्ञापन देख रहे दादा जी उस ब्रांडेड नमक का मूल्य सुनकर चौंक पड़े।
        उन्होंने पास बैठे मुन्नू से कहा,” क्या जमाना आ गया है बेटा, अब सौ रुपये किलो में नमक  बिक रहा है। इस देश का क्या होगा? हमारे ज़माने में हम लोग कोई भी नमक खा लेते थे।तब एक पैसे में पांच किलो नमक मिल जाता था । हम नमक खड़ा लेकर घर में पिसते थे। तब किसी को कोई भी बीमारी नहीं होती थी। नमक के लिए महात्मा गांधी जी ने दांडी यात्रा की थी ।तब हमारे नमक पर अंग्रेज बेतहाशा टैक्स लगाते थे पर आज तो एक किलो नमक पर इतना ज्यादा टैक्स? मुझे लगता है कि स्थिति ऐसी रही तो गरीबों को अब नमक का स्वाद  मजबूरन भूलना पड़ेगा। ”            यह कहते हुए दादा जी आक्रोशित  हो गए।
          यह सुनकर चुन्नू ने कहा,”दादा जी ,यह नमक का जो आपने विज्ञापन देखा है न? ये ब्रांडेड है।आज के ज़माने में ब्रांडेड का बड़ा  क्रेज है और रईस लोग ही ब्रांडेड  यूज़ करते हैं। यह नमक गरीबों के लिए थोड़े ही है।”
        चुन्नू की बात सुनकर दादा जी सकते में  आ गए।वे अब अमीर और गरीब नमक के मोल का अंदाजा लगाते रहे।
— डॉ. शैल चन्द्रा

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- [email protected]