हमारी आदत तय है
हमारी आदत तय है,
हममें नहीं भय है !
विश्वास पदार्पण के
वशीभूत होकर भी
अविराम चलायमान है,
यही तो राग-विराग है
वीतराग संभाग है !
वृहद तीरे,
अवंतिका वीरे
खासमखास है,
नहीं अविश्वास है ।
यह अविश्वसनीय नहीं है,
चूँकि रात अज्ञानी है,
दिन पुरानी है ।
आदर वितान आदर्श भी
क्यों तूफानी है ?
यह प्रसंगश: नहीं,
नई पीढ़ी की जीवंतता लिए
आखिरी चंद साँसों के बनिस्पत
यह कथा पुरानी है ।