हमारी स्वच्छन्दता
हमारी स्वच्छन्दता
एक अट्टहास नहीं है,
विकास नहीं है,
उनके प्रसंगकर
सिर्फ नूतन मजाक नहीं है !
ये घोर आश्चर्य है
कि हम बढ़-चढ़कर
सानी के सिवाय
मोहलत के विन्यास पर
परेशान, शानोशौकत
और शौक़तजंग के पुराने नजारे से
और आगे बढ़ एक खास
मकसद लिए है
या ज्ञानी वृहदतम के परिधित:
कुछ भी शौर्यगाथा
नित्यानंदरूप में
स्थित-अवस्थित हो सकती है,
कालगौरव हो सकती है !
यह भी अजीब दास्तान है
कि हद तक बात सुहानी है,
पर हाँ, यह कथा पुरानी है !