कविता

जीत पक्की है

अपने मन के संकल्प को
मजबूत बनाइये।
आइए !
विश्वास बढ़ाइए,
हौसले को नया आयाम दीजिये।
जीत की फिक्र छोड़िए,
अपनी लगन,दृढ़ता से
पीछे मत हटिये।
जीत की चिंता में
अपना कर्म मत छोड़़िए
लक्ष्य से पहले मत रुकिये,
फिर देखिए
जीत खुद बखुद
आपका इंतजार करेगी,
आपसे मिलने को
बेकरार होगी।
फिर जीत की चिंता नहीं होगी
जीत के जज्बे की न कमी होगी।
क्योंकि तब
जीत हमारी पक्की होगी।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921