सब व्यस्त हैं
सब व्यस्त है..
फिर भी अस्त व्यस्त है
चाहते है वो मिलता नही
अनचाही जिन्दगी में
सब व्यस्त है
दिल को भूल, दिमाग की सुनने में,
सब व्यस्त है
अनमोल छोड़ दिया
बेकार बटोरने में व्यस्त है
अपनों को छोड़, मोबाइल की दुनिया में,
सब व्यस्त है
सुख-चेन छोड़, बीमारी खरीदने में,
सब व्यस्त है
हकीकत भूल, ख्वाब सजाने मे,
सब व्यस्त है
जिधर देखो सब व्यस्त है..
ये कोई तेरी-मेरी बात नही
हर जगह, हर कोई
सन्तोष छोड़, दिखावे में व्यस्त है..
फिर भी सब अस्त व्यस्त है..सुमन”रुहानी”