इनकम टैक्स
आज राजनीति
‘व्यवसाय’ तो है ही !
पर इनमें
टटपूँजीपतियों का
दूर तक
स्थान नहीं है,
वे प्रखंड
और जिला स्तर तक
दलाल बने रह सकते हैं !
यहाँ तो
गाँवों में
लोगों के ईमान तक
बिक जाते हैं,
फिर राजनीति में
शुचिता की बात करना
बेमानी है, भाई !
डीजे की आवाज से
मेरे घर तक
हिलने लगते हैं
और बुजुर्ग पिता जी के
हृदय के स्पंदन की
रफ्तार
खूब बढ़ जाती है !
हम डीजेरोधी घर
बनाने में सक्षम नहीं हैं,
तो भूकम्परोधी घर
खाक बनाएंगे !
इस गरीब देश में
दहेजवाली
और खर्चीली शादी पर
सामाजिक बहिष्कार हो !
कोई चाहे
अपना धन ही
क्यों न खर्च
कर रहा हो।
यह धन का
अपव्यय है।
प्राइवेट व्यक्ति के यहाँ
होनेवाले
शादी-समारोहों में भी
‘खर्च’ की सीमा
तय हो !
एक सीमा के
बाद के खर्च पर
‘इनकम टैक्स’
लगनी चाहिए !