सबक
शायद समझ में आ गया हो
मेले में हैं सब अकेले
बड़ा गुमान था
अपने बड़े होने पर
देख लिया न
कितना तुच्छ हो
चारों तरफ सजाए थे
बड़े बड़े मेले
मौत अाई
तो कोई भी पास न आया
धरे रह गए सब मेले
मंजर यह गुजर जाएगा
जिंदगी फिर ढर्रे पे चल देगी
हम सब भूल जाएंगे
क्या हम कुछ
सबक लेंगे अतीत से
शायद नहीं