पूरे दाल ही उजाला है
मोटापा न तो रोग है,
ना ही आनुवंशिक
या प्राकृतिक विपदा !
यह खुद के असंयमित
जीवनचर्या से होता है
या होती है !
इनसे आगे कहूँ तो
जब मनुष्य के
पूर्वज बन्दर थे,
तो उसके वंशज
सुन्दर कैसे हो गए ?
दाल में काला है
या सम्पूर्ण दाल ही
उजाला है !
क्या सचमुच में
मनुष्य के पूर्वज बन्दर थे ?
उत्तर जानता,
तो पूछता ही क्यों, भाई ?
किसी ने सच कहा है-
हर इंसां को यहाँ,
सुकून भरी एक रात भी,
मयस्सर नहीं होती,
अपनी व्यस्त ज़िंदगी में !
यही तो व्यस्तता है
कि गत वर्ष ‘नाना’ बना था,
इस साल
‘दादा’ भी बन गया !
हाँ, यह दीगर बात है
कि अब भी मैं
‘भीष्म पितामह’ हूँ !
इनसे आगे बढ़कर कहूँ तो
ऐसे रिश्ते-नाते क्या
लाईलाज़ रोग है,
मैं इनका मरीज नहीं !
इनमें अन्वेषण के भाव
मर जाते हैं।
तभी तो किसी ने कहा है-
सपनों को सुलाओ,
तो यादें जाग जाती है !
यादों को सुलाओ,
तो सपने जाग जाती है !