अधजल गगरी क्यों छलकत जाय ?
जहाँ मित्रता है,
वहीं मतभेद है,
पर मित्रो से ही क्यों
किसी से भी मनभेद
मत रखिये,
मत पालिए !
दूसरों के ज्ञान की भी
कद्र कीजिये….
और अपने आसपास के
लोगों की
इज्जत करना सीखिए !
सिर्फ़ अकादेमी में
कविता वाचन
या कथा पाठ करने से
कोई महान नहीं हो जाते !
सच में,
बुद्धि, विद्या के साथ-साथ
विवेक भी जरूरी है
अन्यथा
अधजल गगरी,
क्यों छलकत जाय ?
ऐसे भी क्षण आते हैं,
जब शब्दसृजक के पास भी
कहने को शब्द
कम पड़ जाते हैं !
यहाँ मेरे पास
कहने और देने को
शब्द नहीं है-
अब जो थोड़ी-सी
मस्तिष्क है,
उसे तो मेरे पास
रहने दो, यार !