स्वास्थ्य

कोरोना को हराने के लिए डर पर नियंत्रण आवश्यक है

डॉ मनोज कुमार तिवारी
वरिष्ठ परामर्शदाता
ए आर टी सेंटर, एसएस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू वाराणसी।

डर एक जन्मजात किन्तु नकारात्मक संवेग है। भय व्यक्ति को खतरों के प्रति सजग रहते हुए प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार करता है। भय से व्यक्ति में शारीरिक परिवर्तन होते हैं जो उन्हें सतर्कता के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। जब कोई लंबे समय तक भय की स्थिति में रहता है तो लगातार उच्च सतर्कता वाली स्थिति के कारण उसके अंग ठीक से काम करना बंद करने लगते हैं। उच्च स्तर व लंबे समय तक बने रहने वाला भय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
अज्ञात वातावरण भय का कारण होता है, भय की स्थिति में व्यक्ति का दिमाग चेतावनी देने लगता है कि स्थिति मुश्किल पूर्ण है जिससे शरीर के तंत्र उत्तेजना की स्थिति में आ जाते हैं और व्यक्ति में ऐसे हारमोंस का स्राव होने लगता है जिसकी आवश्यकता नहीं होती है वो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है। कोरोना के लंबे समय तक चलने से समाज में भय ब्याप्त हो रहा है और लोगों के मन में भय घर कर रहा जो लोगों के सामान्य जीवन को प्रभावित करेगा। सोशल डिस्टेंसिंग के दुष्प्रभाव के कारण सोशल सिजोफ्रेनिया का खतरा बढ़ रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग के कारण लोग एक-दूसरे को संक्रमण व मृत्यु का कारण समझने लगेंगे और एक-दूसरे से डरने लगेंगे। लोगों के जीवन में मित्रता, सहयोग, संबंध, दया, ममता व अन्य मानवीय गुणों का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।


*भय में शारीरिक परिवर्तन :-*
# सांस लेने की गति में तेजी
# तीव्र हृदय गति
# रक्त वाहिकाओं में रक्त का अधिक प्रवाह
# मांसपेशियों में तनाव
# अधिक पसीना आना
# रक्त में ग्लूकोज की मात्रा का बढ़ जाना
# सफेद रक्त कोशिकाओं की बृद्धि
# आंख की पुतलियों का फैल जाना # पाचन क्रिया में शिथिलता
*भय का शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:-*
# रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी
# अंतःस्रावी तंत्र में विकार
# स्वायत्त तंत्रिका तंत्र में विकार
# सोने व उठने के समय में विचलन
# भोजन विकार
# तेज सिर दर्द
# शरीर में दर्द
# बुढ़ापे के लक्षणों में तेजी से वृद्धि
# पेट संबंधी समस्याएं
# बहुत जल्दी व अधिक थकान

*भय का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:-*
# स्वयं के प्रति लापरवाही
# अच्छा महसूस न करना
# अर्जित निःसहायता
# दुश्चिंता
# मनोदशा में उतार-चढ़ाव
# मन में बार-बार नकारात्मक विचार आना
# अविश्वास की भावना का बहुत अधिक बढ़ जाना
# भ्रम
# मनो बाध्यता विकार
# संवेगों के नियंत्रण में कठिनाई (भय के कारण मस्तिष्क का हिप्पोकेंपस के क्षतिग्रस्त होने से ऐसा होता है।)
# यादाश्त में कमी
# अत्यधिक निराशा

*भय पर नियंत्रण पाने के उपाय:-*
# भय उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों से ध्यान हटाने का प्रयास करना, कोरोना महामारी के भय से ध्यान हटाने के लिए उससे संबंधित सूचनाओं एवं समाचार को कम से कम सुने व देखें, परिवार में इस पर आवश्यक होने पर ही चर्चा करें।
# भय उत्पन्न करने वाले कारणों को दूर करने का प्रयास करें जैसे- कोरोना के संक्रमण के भय को दूर करने के लिए उससे बचाव के उपायों का कड़ाई से पालन करें।
# भय उत्पन्न करने वाली घटनाओं एवं परिस्थितियों से बचें जैसे- कोरोना के संक्रमण के खतरों को टालने के लिए कम से कम लोगों से मिले, मास्क एवं सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
# कुछ नया करने का प्रयास करें जिससे जीवन में बदलाव महसूस हो # जीवन के प्रति सकारात्मक सोचे, सोचें कि जीवन में आगे सब अच्छा होगा।
# आत्मविश्वास को बनाए रखें।
# ध्यान एवं पूजा मे मन लगाएं।
# अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन लक्ष्य को निर्धारित करें और उसे पूरा करने का प्रयास करें।
# अपनी कल्पनाओं पर नियंत्रण रखें।
# सकारात्मक विचार रखने व उत्साहवर्धन करने वाले लोगों से बातचीत करें
# सामाजिक दूरी के नियम का पालन करें किंतु संचार माध्यमों से एक-दूसरे से जुड़े रहें
# अफवाहों पर ध्यान ना दें
# सोचें कि मृत्यु दर कम है तथा स्वस्थ होने वालों की संख्या बहुत अधिक है।

कोरोना महामारी में जिन लोगों में भय का सामान्य स्तर है वे कोरोना संक्रमण के बचाव के उपायों का समुचित ढंग से पालन करते हुए अपने व अपने परिवार को सुरक्षित रखते हैं। जिनमें भय नहीं होता है वे लापरवाहीपूर्ण व्यवहार करतें हैं और कोरोना का शिकार होते हैं।
कोरोना संक्रमण होने के बाद व्यक्ति के स्वस्थ होने में उसके भय के स्तर की महत्वपूर्ण भूमिका है, कोरोना संक्रमित होने पर जो लोग अत्यधिक भयभीत हो जाते हैं उनका ऑक्सीजन का स्तर बहुत जल्दी कम हो जाता है, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं होती है। उन्हें स्वस्थ होने में समय भी अधिक लगता है। जो लोग अधिक भयभीत नहीं होते, अपने मन को मजबूत को रखते हैं उनमें बीमारी के गंभीर लक्षण नहीं आते और वे शीघ्र स्वस्थ हो जाते हैं। मन को मजबूत रखकर कोरोना पर जीत हासिल किया जा सकता है।

डॉ. मनोज कुमार तिवारी

वरिष्ठ परामर्शदाता ए आर टी सेंटर, एस एस हॉस्पिटल आई एम एस, बीएचयू वाराणसी