कविता

मानवता की परीक्षा है

एक ओर जहाँ लोग बेहाल
भाग रहे यहाँ से वहाँ
लिए अपने परिजनों को
इलाज के लिए
एक हस्पताल से दूसरे हस्पताल
फिर भी मिल नहीं रहा दाखिला ,न दवा, न इलाज , न इंजेक्शन, न ऑक्सीजन
और यूँ दम तोड़ रहे लोग
हज़ारों
मरने पर भी नहीं इज़्ज़त से
हो रहा अंतिम संस्कार
वहां भी हो रही बेकदरी
कहीं मांगी जा रही ऊँचे दाम
करने को दाह संस्कार
इस तरह शर्मसार हो रही मानवता जो कर रही सौदा
जानों का कहीं कर कालाबाज़ारी दवा, इंजेक्शन की तो कहीं यूँ
लगा दाम लाशों का ।।
पर जहाँ शमर्सार कर रहे दानव रूपी ये  मानव हैं
वहीं अपने घरों, मंदिरों, गुरुद्वारों से लोग कर रहे सेवा पहुँचा खाना मरीज़ो के परिजनों और कोरोना से ग्रस्त परिवारों को
वहीं कई लोग कर रहे सेवा ऑक्सिजन की दे साँसे ज़रूरत मंद मरीजों को
सत्संग घर हों या गुरुद्वारा परिसर बनाये जा रहे हैं वहां हस्पताल ताकि जाए न जान कोई बिना इलाज
ये मानवता की पराकाष्ठा है जहाँ लोग हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं देने को राहत इस आपदा में अपनी निस्वार्थ सेवा से
मानवता को जहां शर्मसार कर रहे दानव
वहीं भगवान बनकर भी मानवता कर रही उपचार।।
…..मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |