जिंदगी का गणित
क्या पाया क्या खोया
जिंदगी में
खोजता हूं
तो पाता हूं
आंकड़ों में जीता रहा
हिसाब किताब ही करता रहा
अन्तिम शेष शून्य ही रहा
हिस्से में मेरे न कुछ आया
जिसका हिस्सा था जो
वो अपना ले गया
बाकी यहां का
यहीं धरा रह गया
*ब्रजेश*
क्या पाया क्या खोया
जिंदगी में
खोजता हूं
तो पाता हूं
आंकड़ों में जीता रहा
हिसाब किताब ही करता रहा
अन्तिम शेष शून्य ही रहा
हिस्से में मेरे न कुछ आया
जिसका हिस्सा था जो
वो अपना ले गया
बाकी यहां का
यहीं धरा रह गया
*ब्रजेश*