वोह कहते हैं – वापस मुझे ही आना पडे गा
नाराज़ हैं वोह – अब मुझे ही मनाना पडेगा
यादों में उन की – बेज़ार है दिल हमारा
नही समझे गा यिह – सदमा इसी को उठाना पडे गा
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नही बदले ही आदत – हमारी मोहब्बत करने की
नही मान् गे अगर वेह – दिल किसी और से लगाना पडेगा
बुहत बेक़रार है दिल हृारा – आप के दीदार के लिसे
हसरत बुहत बढ़ गई है – परदा चेहरे से उठाना पडे गा
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समझते थे सकून दिल को – मिलेगा आप के दीदार से
नही मालूम था बे क़रारी – और बढ़ जाएगी देखते ही
मिसाल हैं अगर आप – इस दुनिया में ख़ुशिसें की
तो सबूत हम को भी – ग़मों का आप को मानना पडेमगा
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ज़ख़म देख कर अपने – कराहता हूं मैं दरद से ‘मदन ‘
मगर हँसीं भी आती है मुझे – हाल अपने को देख कर
उमीद कोई भी तो बर – आई ही नही हमारी आज तक
नही चारा भी अब कोई – ज़िनदगी को अैसे ही बिताना पडे गा