कोविन वैश्विक सम्मेलन – कोविड वैक्सीनेशन का डिजिटल प्लेटफॉर्म
गोंदिया – वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी ने जब पिछले साल आघात किया था तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि कोरोना महामारी इतनी त्रासदी मचाएगी। करोड़ों लोगों की मृत्यु होगी, स्वास्थ्य संसाधनों की कमी पड़ जाएगी और उपलब्ध स्वास्थ्य संसाधन फेल हो जाएंगे और इलाज का कोई साधन या वैक्सिन भी उपलब्ध नहीं होगी। परंतु आध्यात्मिक और बड़े बुजुर्ग सच ही कहते हैं कि 84 करोड योनियों में मानव अद्भुत बुद्धि वाला जीव है। उसने कोरोना महामारी को मात देने के लिए कोरोना वैक्सीन तैयार कर ही ली और कोरोना महामारी को चारों खाने चित करने की ठान ली।…साथियों बात अगर हम भारतकी करें तो 2020 में भारतके पास कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सीमित संसाधन थे और सीमित स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर था फिर भी हौसले बुलंद रख जंग लड़ने में भिड़ गया और अभी 2021 में विशाल स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल ऐप कोविन, अनेक सुविधाएं हैं, जिसके बल पर हमने दूसरी लहर पर करीब-करीब नियंत्रण कर लिया है।…साथियों बात अगर हम कोविन ऐप की करें तो यह वैक्सीनेशन का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। जिसकी सहायता से वैक्सीनेशन अभियान काफी तीव्रता से तेजी पकड़ रहा है।…साथियों सोमवार दिनांक 5 जुलाई 2021 को वर्चुअल कोविन ग्लोबल कॉन्क्लेव याने कोविन वैश्विक सम्मेलन हुआ जिसमें पीएम, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और कोविन के सीईओ भी शामिल हुए। भारत में कोविन ऐप की सहायता से वैक्सीनेशन में अति तीव्रता और वैक्सीनेशन का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म होने से वैश्विक स्तर पर भारत के वैक्सीनेशन अभियान की बहुत तारीफ हो रही है और कनाडा, मेक्सिको, नाइजीरिया, सहित करीब करीब 50 देशों ने अपने टीकाकरण अभियान चलाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म कोविन ऐप को अपनाने में रुचि दिखाई है जो हमारे भारतीय तकनीकी के लिए एक गर्व की बात है। साथियों…बात अगर हम 5 जुलाई 2020 को हुए कोविन ग्लोबल कॉन्क्लेव की करें तो वैश्विक सम्मेलन को अपने वर्चुअल संबोधन में पीएम ने कहा कि अनुभव बताता है कि कोई भी राष्ट्र, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों नहो,इस महामारी जैसी चुनौती को अलग-थलग रहके हल नहीं कर सकता है। महामारी की शुरुआत से ही भारत इस लड़ाई में अपने सभी अनुभवों, विशेषज्ञता और संसाधनों को वैश्विक समुदाय के साथ साझा करनेके लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, अपनी तमाम मजबूरियों के बावजूद हमने दुनिया के साथ ज्यादा से ज्यादा साझा करने की कोशिश की है।यह उल्लेख करते हुए कि प्रौद्योगिकी कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई का अभिन्न अंग है, आगे कहा कि सौभाग्य से सॉफ्टवेयर एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें कोई संसाधन की कमी नहीं है, इसलिए, हमने तकनीकी रूप से संभव होते ही अपने कोविड ट्रेसिंग और ट्रैकिंग ऐप को ओपन सोर्स बना दिया। पीएम ने कॉन्क्लेव में कहा भारतीय सभ्यता पूरी दुनिया को एक परिवार के तौर पर देखती है। इसे महामारी के दौरान लोगों ने महसूस भी किया होगा। इसलिए कोविड वैक्सीनेशन के लिए हमारे तकनीकी प्लेटफार्म कोविन को ओपन सोर्स के तौर पर तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, महामारी से निजात पाने में वैक्सीनेशन बेहतर उम्मीद है और शुरुआत से भारत में हमने वैक्सीनेशन के लिए हमने डिजिटल तरीका ही अपनाने का फैसला किया। भारत कोविन प्लेटफॉर्म को दूसरे देशों के लिए डिजिटल जनसेवा के तौर पर पेशकश किया है, ताकि वे अपने कोविड-19 टीकाकरण अभियान को संचालित कर सकें, हमें एक दूसरे से सिखाना होगा और मदद करनी होगी, कि भारत इस कोरोना महामारी की शुरुआत से सभी संसाधनों को विश्व से जितना संभव हो सके, साझा करता रहा है। कोविन ऐप को लेकर भी भारत दुनिया की मदद करने को तैयार है। भारत दुनिया की तकनीकों से भी सीखता रहा है। सॉफ्टवेयर ऐसा क्षेत्र है, जहां संसाधन की कोई कमी नहीं है, लिहाजा हमने ट्रैकिंग, ट्रेंसिंग के ओपन सोर्स की शुरुआत की है।…साथियों बात अगर हम भारत की मिट्टी की करें तो प्यार, सम्मान, मूल्य, करुणा और साझा करना इस मिट्टी की खुशबू है। जो भारत में जन्म लेते ही जीव के ह्रदय में समा जाती है और मस्तक पर विजय की रेखा खींच देती है। यही कारण है कि हम भारतीय अपनी तकनीकी विश्व में मानवजीवन कल्याण और सुरक्षित तथा श्रेष्ठ बनाने के लिए साझा करते हैं। जो हम अभी भी कोविन ऐप वैश्विक रूप से साझा करने के लिए संकल्पित है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो कोविन वैश्विक सम्मेलन में कोविन ऐप वैक्सीनेशन का डिजिटल प्लेटफॉर्म, कोविन के जरिए कोविड वैक्सीनेशन अभियान में तेजी आई है और इसे हम वैश्विक रूप से साझा करने के लिए संकल्पित हैं।
— एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी