क्षणिकाएं
1मंजिल गर मिले तो एक ही शर्त पर
दिल न टूटे किसी का मेरी वजह से
चलते रहें मेरे कदम सच के पथ पर
करती रहूँ दुआ यही मैं अपने रव से
2प्रेम पर अंकुश कभी निरंकुश भी बना देता है
तोड़ जाता है कोई दिल पर पत्थर बना देता है
3आँखों में आँसू
और दिल में जज्बात
छिपाए भी तो दिल कैसे
जब बँधे हों दोनों हाथ
4 वक़्त भी क्या चीज है
अपनों को भुला देता है
बिता दी उम्र जिनके लिए
वही एक पल में भुला देता है
5जीने का सहारा तुम बन गए
हर गम की दवा तुम बन गए
क्या कहूँ और कैसे कहूँ
मेरा तो सारा जहाँ तुम बन गए
6प्रेम से बढ़ा न कोई जज्बा न था न होगा
सच्चाई को मान लो जीना आसान होगा
7अंधेरों की क्या बिसात उजाला भी शर्मा जाए
तुम जहां रखो कदम मोह्हबत भी मुस्कराए
8दूसरों से ज्यादा उम्मीद न किया कर
कभी खुद के लिए भी थोड़ा जिया कर
9खामोशी और तन्हाई दोनों
एक ही सिक्के के दो पहलू हैं
एक अकेला नहीं रहने देती
दूसरी अकेले जीने नहीं देती
10अति का प्यार
अति का दुलार
जाने क्यों भर देता आँखों में
आँसू बेशुमार
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़