क्षणिका

क्षणिकाएं

1मंजिल गर मिले तो एक ही शर्त पर

दिल न टूटे किसी का मेरी वजह से

चलते रहें मेरे कदम सच के पथ पर

करती रहूँ दुआ यही मैं अपने रव से

2प्रेम पर अंकुश कभी निरंकुश भी बना देता है

तोड़ जाता है कोई दिल पर पत्थर बना देता है

3आँखों में आँसू

और दिल में जज्बात

छिपाए भी तो दिल कैसे

जब बँधे हों दोनों हाथ

4 वक़्त भी क्या चीज है

अपनों को भुला देता है

बिता दी उम्र जिनके लिए

वही एक पल में भुला देता है

5जीने का सहारा तुम बन गए

हर गम की दवा तुम बन गए

क्या कहूँ और कैसे कहूँ

मेरा तो सारा जहाँ तुम बन गए

6प्रेम से बढ़ा न कोई जज्बा न था न होगा

सच्चाई को मान लो जीना आसान होगा

7अंधेरों की क्या बिसात उजाला भी शर्मा जाए

तुम जहां रखो कदम मोह्हबत भी मुस्कराए

8दूसरों से  ज्यादा उम्मीद न किया कर

कभी खुद के लिए भी थोड़ा जिया कर

9खामोशी और तन्हाई दोनों

एक ही सिक्के के दो पहलू हैं

एक अकेला नहीं रहने देती

दूसरी अकेले जीने नहीं देती

10अति का प्यार

अति का दुलार

जाने क्यों भर देता आँखों में

आँसू बेशुमार

वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

 

 

 

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017