गुरु दक्षिणा
सुचित्रा बहुत विचलित हो गई थी। उसने इतना अपमान अब तक कभी नही सहा था। भलाई करने का आज के जमाने में यह परिणाम मिलता है, उसे आज महसूस हुआ था। पड़ोस के घर से संयम उसके पास संगीत सीखने आता था। जबसे वह पड़ोस में रहने आया था तभी से उसके पास आ रहा था। वह बहुत मन लगाकर सिखा रही थी। संयम भी रुचि से सीख रहा था। इस महीने उसने फीस जमा नहीं की। कल सुचित्रा ने उससे अपनी मम्मी को याद दिला देने के लिए कहा था। आज उसकी कक्षा से पहले ही दोपहर में उनका फोन आया कि वो तो फीस महीने की शुरुवात में ही जमा कर चुकी थीं। दूसरी बार सुचित्रा फीस भरने को क्यों कह रही है ? सुचित्रा ने उन्हें समझाने की बहुतेरी कोशिश की कि वह फीस तारीख के साथ लिखकर रखती है और इस महीने संयम का नाम नहीं लिखा है। लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थीं। उल्टा उन्होंने सुचित्रा को बोला कि यदि उसे इतनी ज़रूरत है तो बता दे, वो दूसरी बार फीस भर देंगी। सुचित्रा हैरान थी। उसने यहां तक कह दिया कि मैडम मुझे भी संगीत कक्षा का किराया भरना पड़ता है और बिजली का बिल भी देना पड़ता है। दूसरी बात पड़ोसी होने के नाते ही सही आपको मुझ पर भरोसा करना चाहिए कि मैं यूं ही आपसे फीस भरने को क्यों कहूंगी ? परन्तु बात बनने के बजाए बिगड़ती चली गई। वो न तो कुछ समझना चाहती थी न ही सुनना। सुचित्रा ने उनके सामने हाथ जोड़ लिए। अगले दिन संयम संगीत सीखने भी नहीं आया। पूछने पर उन्होंने कहा कि वह अब संगीत नही सीखना चाहता। सुचित्रा बहुत हैरान थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक से उन्हें क्या हुआ था?
उसे छः महीने पहले की वह घटना याद आ गई जब संयम की मम्मी उसको लेकर सुचित्रा के पास आई थी। “सुचित्रा जी, मेरा बेटा संगीत में बहुत रुचि रखता है। वह आपकी संगीत कक्षा में आना चाहता है। हम लोग आपके घर के पास ही रहने आए हैं। आप उसे अपने बेटे जैसा समझें और उसे संगीत सिखाना शुरू करें तो आपका अहसान होगा।” सुचित्रा मना नहीं कर पाई। किंतु आज उसे लग रहा था कि उस दिन मना कर दिया होता तो अच्छा होता।
संयम अब संगीत कक्षा में नहीं आ रहा था। पास पड़ोस के एक दो लोगों ने सुचित्रा को बताया कि संयम की मम्मी सबसे यही बोल रही हैं कि सुचित्रा को संगीत अच्छा का ज्ञान नहीं है इसलिए उन्होंने संयम को संगीत सिखाना बंद कर दिया है। सुचित्रा खून का घूंट पीकर रह गई। एक दिन किसी संगीत विद्यालय से फोन आया कि बच्चों की एक संगीत प्रतियोगिता में उसे जज बनाया गया है। सुचित्रा संयम से जुड़ी घटना को लगभग भूल चुकी थी। प्रतियोगिता शुरू हुई। सभी प्रतिभागियों में संयम भी एक प्रतिभागी था। उसने भी अच्छा गाया। प्रतियोगिता में उसने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया।
प्रतियोगिता के बाद संयम की मम्मी सुचित्रा से मिलने आई,” मैं जानती थी, आप जज होंगी तो संयम जीत नहीं पाएगा।” सुचित्रा ने कोई उत्तर नहीं दिया। सभी प्रतिभागियों से प्रश्न पूछे गए। संयम का उत्तर सुनकर सुचित्रा की आंखें नम हो गईं।,”मैं और अच्छा गा सकता था यदि संगीत सीखना बीच में नहीं छोड़ता। मैं अपनी संगीत शिक्षिका से सबके सामने क्षमा मांगना चाहता हूं क्योंकि मेरी मम्मी के अहंकार ने उनके सम्मान को बहुत ठेस पहुंचाई है।” सुचित्रा खामोशी से सब सुन रही थी। मन ही मन उसने संयम का आभार व्यक्त किया। उसकी आंखों में नमी थी। संयम की मम्मी गुस्से से उसे घूर रही थी।
— अर्चना त्यागी