भारतीयों से यह मत पूछो कैसे आई आज़ादी।
किसने पाया राज-पाट और किसने पाई आज़ादी।।
लाखों ने काटा बंदीगृह, हज़ारों ने बलिदान दिये,
कांग्रेस इन सबका सौदा करके लाई आज़ादी।
हुए करोड़ों विस्थापित, भारत माता को काट दिया,
देश की सुख-शान्ति समृद्धि बेंच के खाई आज़ादी।
क्रांतिकारियों ने जो देखे सपने सारे चूर हुए,
भ्रष्ट अफ़सरों नेताओं ने लूटी-लुटवाई आज़ादी।
अगस्त में हर साल मनाते आज़ादी का जश्न यहाँ,
कुछ ने गाये गीत शोक के, कुछ ने गाई आज़ादी।
हर हाथ को काम मिले और हर भूखे को रोटी हो,
‘अंजान’ तभी कह पायेंगे भारत में छाई आज़ादी।
—- डॉ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’