कविता

देश मांगता है आजादी

देश मांगता है आजादी,
आतंकी शैतानों से।
चमचे और दलालों से,
कुछ चापलूस इंसानों से।
जो नमक देश का खाते हैं ,
और पाक की गाथा गाते हैं।
राणा का साहस विस्मृत कर,
अकबर महान बतलाते हैं।
देश मांगता है आजादी,
ऐसे चंद विचारों से,
झूठे इतिहासकारों से,
और पाकिस्तानी नारों से।
जे एन यू में नारेबाजी,
फ़र्जी आजादी का मसला।
भारत तेरे टुकड़े होंगे,
इंसा अल्लाह इंसा अल्लाह।
देश मांगता है आजादी,
कुछ ऐसे गद्दारों से।
भ्रष्टाचारी लोगों से और,
पाकिस्तानी यारों से।
सेना पर पत्थर बरसाते,
आतंकी को बचाने आते।
हिंदुस्तान में रहते हैं ,
और पाकिस्तानी राग सुनाते।
देश मांगता है आजादी,
भटके हुए युवाओं से।
रोहिंग्या की घुसपैठों से,
कश्मीरी आकाओं से।

स्वरचित रचना
प्रदीप शर्मा ✍️✍️✍️

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश