पेट में बिल्ली कूदे
ज़िंदगी में सार्थक
और सकारात्मक
व्यस्तता होनी चाहिए !
आज सुबह
‘साँड़’ और ‘बोतू’ को
साथ-साथ खड़े देखा !
एक ‘मरद’ इसे
निहार रहा था
और ‘कुत्ता’ इनपर
भौंक रहा था !
क्या कारण है,
वकीलों की संतान
‘वकालत’ संबंधी
पेशा छोड़कर
अन्य अच्छे पद पर
क्यों नहीं जा पाते हैं
और वो अफसर
क्यों नहीं बन पाते हैं ?
वकील और पत्रकार
‘तेज’ होते हैं
या ‘धूर्त्त’ !
इन दोनों में
अधिक भरोसा
किन पर किया जाय ?
अब ‘जाति’
और ‘उपनाम’ को
गर्व से बताने का नहीं,
दफ़नाने का
समय आ गया है !
‘पेट’ में अगर
‘चूहे’ के बदले
‘बिल्ली’ कूदे,
तब क्या होगा ?