पिछवाड़े में जलन, दिल में तूफ़ान सा क्यूँ है
भारत में हर सेकूलर परेशान सा क्यूँ है
मौक़े की ताक में हो जैसे कोई बेरहम
हर जेहादी लगता तालिबान सा क्यूँ है
आतंकियों को मदद, अमन हो गया ग़ायब
अल्लाह का भी रवैया शैतान सा क्यूँ है
साँपों को शरण देंगे तो डँसेंगे वे ज़रूर ही
किसी को यह समझाना इम्तहान सा क्यूँ है
पागल कुत्तों के साथ चैन से नहीं सो सकते
संत विराथू का कथन चट्टान सा क्यूँ है
— डॉ विजय कुमार सिंघल “अंजान”