कविता

घर घर बजे बधाई

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि
घनघोर घटाओं के बीच
रोहिणी नक्षत्र में
नंद देवकी के लाल
अबूझ काली रात
सात तालों में कैद
बेड़ियों में जकड़ी
देवकी की कोख से
जन्में काल कोठरी में
कृष्ण कन्हाई।
माँ बाप की बेड़ियां टूटी
पहरेदार मूर्छित भये
ऐसे त्रिपुरारी ,विष्णु अवतारी के
जन्म पर बिना साज बाज के
बज उठी घंटी घड़ियाली।
आज प्रतीकवश अर्धरात्रि
कृष्ण जन्म होते ही
घर घर बजती बधाइयाँ
उस रात्रि को जीवंत करती
ऐसी उमंग होती
हर किसी के चेहरे पर
अद्भुत मुस्कान होती
अप्रतिम मुस्कान सजती,
कन्हैया के जन्म पर
मंगल गीत गूँजती,
घर घर में बधाइयाँ बजती।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921