कविता

ज्ञान का प्रकाश

हम सबके जीवन में
फैलता ज्ञान का प्रकाश
माँ,बाप से,परिवार से
अपने गुरू, अपने शिक्षक से।
अपने इर्दगिर्द, अपने परिवेश से
अपने समाज से ,
और तो और जाने अंजाने
अनगिनत लोगों से।
हर किसी का ज्ञान हमें
कुछ न कुछ प्रकाश देता है,
जीवन में काम आता है
जाने कितने गुरू मिलते हैं
हमें जीवन में,
हम याद भी कहाँ रख पाते हैं,
बहुतों को हम जान भी नहीं पाते
उनके ज्ञान का लाभ उठाते हैं
उनका धन्यवाद भी नहीं करते।
आइए! कम से कम
इतना तो करते चले
ज्ञान का प्रकाश
जिस भी रुप में जैसा भी मिला
यथासंभव धन्यवाद तो करते रहें,
हम भी अपने ज्ञान के प्रकाश से
औरों को भी प्रकाशित करते रहें।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921