ब्राह्मणवाद से बाहर निकलिए !
‘रामायण’ के रचयिता वाल्मीकि ‘डोम’ यानी शूद्र थे, ब्राह्मण नहीं !
‘महाभारत’ के रचयिता व्यास ‘निषाद’ यानी शूद्र थे, ब्राह्मण नहीं !
‘ब्राह्मणत्व’ से बाहर आइए ! ‘ब्राह्मण’ कोई जाति नहीं, वो तो वर्ण है और वर्ण means रंग (colour) भी होता है । अगर हम colour blindness से बच निकलते हैं और ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ अपनाते हैं, तभी हम असली ज्ञाता व पंडित है!
तब द्रोणाचार्य या कृपाचार्य जाति पूछकर ‘शिष्यों’ को शिक्षादान करते थे ? क्या हम ऐसे ही आचार्य कहलाना चाहेंगे, जो विद्यार्थियों की जाति पूछकर पढ़ाते हैं ! ध्यातव्य है, डॉक्टर ‘रोगियों’ की जाति पूछकर इलाज नहीं किया करते हैं ! फिर असली पंडित तो सिर्फ़ एक जाति में बँधे नहीं है !
‘महाभारत’ के रचयिता व्यास ‘निषाद’ यानी शूद्र थे! ‘ब्राह्मणत्व’ से बाहर आइए ! ब्राह्मणवाद से बाहर आइए ! ‘ब्राह्मण’ कोई जाति नहीं, वो तो वर्ण है और वर्ण means रंग (colour) भी होता है । अगर हम colour blindness से बच निकलते हैं और ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ अपनाते हैं, तभी हम असली ज्ञाता व पंडित है!
द्रोणाचार्य या कृपाचार्य जाति पूछकर ‘शिष्यों’ को शिक्षादान करते थे!
क्या हम वही आचार्य कहलाना चाहेंगे, जो विद्यार्थियों की जाति पूछकर पढ़ाते हैं ! ध्यातव्य है, डॉक्टर ‘रोगियों’ की जाति पूछकर इलाज नहीं किया करते हैं, तो राष्ट्रीय एकता के लिए बोलो- ‘गणपति बप्पा मोरया’…. सादर नमन!