भूत
अचानक कुछ घसीटने की आवाज़ से पूनम की नींद खुल गई, नौ महीने की बेटी गहरी नींद में थी। पूनम की सहायिका उमा भी जाग गई थी। पूनम के पति किसी काम से बाहर गए थे इसलिए उमा उस रात पूनम के साथ ही रुक गई। रात के तीन बजे ऐसी अजीब आवाज़ आने से उमा घबरा गई। दीदी! ज़रूर कोई भूत-प्रेत यहाँ घूम रहा है … मुझे बहुत डर लग रहा है.. उमा सहमी आवाज़ में कहने लगी। पूनम भी चिंतित थी मगर उमा के बात से समर्थ नही थी। अरे! ऐसा कुछ नही पगली,भूत-वूत कुछ नही होता…
मगर दीदी इतनी रात को ये कैसी आवाज़,जो रुक ही नही रही। उमा अब भी डरी हुई थी। गाँव में अंधविश्वास वैसे ही बहुत ज़्यादा फैला हुआ था जिसका असर उमा के मष्तिस्क में भी छाया हुआ था। पूनम ने कहा “चलो बाहर देखकर आते हैं ये आवाज़ कैसी है।” “नही दिदी हम नही जाएंगे बाहर अगर वो हमें भी घसीट कर ले गया तो!” उमा का डर चरम पर था। इस बातपर पूनम हँस पड़ी वह शहर की पढ़ी-लिखी लड़की थी और साहसी भी थी। अपनी बेटी को उमा के पास छोड़कर वह एक डंडा लेकर दरवाज़ा खोलकर बाहर निकली। उमा बेहद डरी हुई थी बच्ची के पास दुबक कर बैठ गई। पूनम बाहर निकली और आंगन की लाइट जलाकर देखा एक कुत्ता कचरे का बैग घसीट रहा था…जिससे ऐसी आवाज़ आ रही थी..पूनम ने पलटकर उमा से कहा, देखा तूने आज आंगन का दरवाज़ा ठीक से नही बन्द किया तभी यह भूत अंदर घुस आया…कहकर पूनम ठहाके मारकर हंसने लगी। इधर उमा घबराकर रोने लगी,दीदी! अब हमारा क्या होगा..
पूनम ने उसका हाथ पकड़ा और भूत के दर्शन कराने बाहर लेकर आई..डरते-डरते उमा बाहर आई और कुत्ते को देखकर सोच नही पाई अब हंसे कि रोए।
— सविता दास सवि