उदास है
न जाने आज मन मेरे
तू क्यों उदास है?
क्या कोई तुझसे दूर है?
या कोई पास है?
पल में है खुश तो
पल में तू नाराज लगे हैं
ए मन मेरे बता तू
मुझसे चाहता क्या है?
दिल में है कई गम
मगर जुबां पे है हंसी
यह जिंदगी मेरी अजब
भंवर में है फंसी
कहने को बातें बहुत
अल्फाज नहीं है
है गीत बहुत मगर
कोई साज़ नहीं है
मिल जाए अगर साज
तो आवाज नहीं है
पर अब तो मेरे जीने का
अंदाज यही है।
— मीनेश चौहान “मीन”