ग़ज़ल
मुझसे खोया है या मिला जाने,
है मेरे साथ या जुदा जाने।
कब मिलेगी खुशी मेरे जी को,
क्या है तक़दीर में बदा जाने।
साँस लेने में डर सा लगता है,
चल रही कैसी ये हवा जाने।
मांँ का आशीष सदा है मुझ पर,
फल गई कौन सी दुआ जाने।
उसके एहसास से महकते हैं,
कैसी शिद्दत से है छुआ जाने।
वो जो कहता है मानता है ‘जय’,
झूठ और सच मेरा ख़ुदा जाने।
— जयकृष्ण चांडक ‘जय’