दिल तुम समझ लो सच
बरसों पहले उसने
लगायी इक ख़ुशी भरी निगाह,
पर ख़ुशी के पीछे,
छिपी थी ग़म की भी छाया।
दिलकश तो प्रपुल्लित हो उठा,
पर आँसू की बूँदें भी निकल पड़ीं।
ख़ुश-आमदीद!
वह आ गया।
दिल की दहलीज़ से,
अंदर तक कदम उठा,
पर साथ में हज़ार तरलीफ़ें भी ले आया।
हे दिल!
तुम एक मुद्दत के बाद समझोगे,
ख़ुशी नहीं,
यह परेशान का मुझराया हुआ गुल्दस्ता है।
दिल, तुम हर लम्हे में तड़पते रहोगे।
जीवन भर तुम,
चैन से मिलने की
मशक्कत करते रहोगे।