शिक्षा अभी भी बाकी है….
सबका विचार एक जैसा
कभी नहीं होता,
देश, काल, परिस्थितियाँ
इंसान को चलाती हैं
कोई ऊँच या नीच नहीं होता
हरेक के अंदर प्रतिभा
जरूर होती है
जन्म के आधार पर
लिंग, प्रांत, जाति व धर्म के साथ
जोड़कर देखी नहीं जाती प्रतिभा
एक दूसरे की तुलना करके
उसे आँका नहीं जाता,
मनुष्य अभी भी पीछे हैं
एक दूसरे को समझना और
साथ – साथ चलना
भेद – विभेदों को पारकर
सामाजिक धरातल पर
समानता हासिल करना
साध्य बन गयी है जग में
कोई भी काम अधम व उच्च नहीं
स्वार्थ मन की रचना है
अलग – थलग -अवर्ण – सवर्ण की भावना
कठिन है उससे बचना
पढ़े -लिखे लोग भी बंदे हैं
अहं की गोद में
साधारण धरातल पर
एक प्राणी का अहसास से दूर
यह जीवन यात्रा
कभी पूर्ण नहीं होता ।
— पैड़ाला रवींद्र नाथ