लैहराओ ना तुम अपनी गीली ज़ुलफ़ो को इस तराह से
बल पर ना जाए कहीं – तुमहारी इस पतली कमर में
छुपाओ ना तुम अपने – हुसीन चेहरे को अपनी ज़ुलफ़ों से
घइर ना जाए कहीं यिह आसमान – रशक में काले बादलों से
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हुसन आप का बे ताब – कर देता है हमारे दिल को
नज़र लग ना जाए कहीं आप को – दुनिया की नज़रों से
मसताना अदाएं आप की – बुहत ही भाती हैं हम को
लुट गया है दिल हमारा – पाला था जिस को हम ने बडे नाज़ों से
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अरमान जवान हो जाते हमारे – मिलते ही आप से
निशाना आख़र बन ही गया – दिल हमारा आप की क़ातिल निघाहों से
बे क़रार हो जाते हैं तो – देखते ही सूरत आप की
इनतेज़ार कर रहे हैं हम तो आप का – जाने कितने अरसों से
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रूठ जाना आप का बार बार – अछा लगता नही हम को –मदन–
इसक़ मेरा ही आवाज़ दे रहा है – मेरी ही ग़ज़ल के लफ़ज़ों से
नशा इस क़दर छलक रहा है – हमारे इन तशना लबों से
जैसे समुनदर ही खुद पी रहा हो – पानी को बैहती नदयों से