गीत/नवगीत

लैहराओ ना तुम अपनी गीली ज़ुलफ़ों को

लैहराओ ना तुम अपनी गीली ज़ुलफ़ो को इस तराह से
बल पर ना जाए कहीं – तुमहारी इस पतली कमर में
छुपाओ ना तुम अपने – हुसीन चेहरे को अपनी ज़ुलफ़ों से
घइर ना जाए कहीं यिह आसमान – रशक में काले बादलों से
हुसन आप का बे ताब – कर देता है हमारे दिल को
नज़र लग ना जाए कहीं आप को – दुनिया की नज़रों से
मसताना अदाएं आप की – बुहत ही भाती हैं हम को
लुट गया है दिल हमारा – पाला था जिस को हम ने बडे नाज़ों से
अरमान जवान हो जाते हमारे – मिलते ही आप से
निशाना आख़र बन ही गया – दिल हमारा आप की क़ातिल निघाहों से
बे क़रार हो जाते हैं तो – देखते ही सूरत आप की
इनतेज़ार कर रहे हैं हम तो आप का – जाने कितने अरसों से
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रूठ जाना आप का बार बार – अछा लगता नही हम को –मदन–
इसक़ मेरा ही आवाज़ दे रहा है – मेरी ही ग़ज़ल के लफ़ज़ों से
नशा इस क़दर छलक रहा है – हमारे इन तशना लबों से
जैसे समुनदर ही खुद पी रहा हो – पानी को बैहती नदयों से

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570