डिजिटल ज़माना
“क्या बात हो गयी है, आजकल कुछ लिख नहीं रहीं?” वे बोलीं ।
“नहीं, बस थोड़ा बहुत लिख, साथियों को समीक्षा के लिए भेजा है। साथ ही साथ,खुद के लिखे का मंथन कर भी रही हूं।” सुमि ने जवाब दिया।
“अरे, इस डिजिटिल ज़माने में तुम “समय पाय तरुवर फलै..” की बात करती हो। समीक्षा के लिए पाठक हैं न। चार – पाँच जगह समीक्षा के लिए भेजोगी, तो उनमें से कोई भी कॉपी पेस्ट करके चलता बनेगा।” मुस्कुराहट में न जाने कितने राज समेटे वो चलती बनीं।
अंजु गुप्ता