गज़ल
आज यादों को करीने से सजाया जाए,
इन दीवारों को कोई किस्सा सुनाया जाए
इश्क कैसे बनाता है किसी बुत को खुदा,
ये करिश्मा भी आज करके दिखाया जाए
तीरगी गम की लगती है जानलेवा मुझे,
चलो और कुछ नहीं तो दिल को जलाया जाए
मार डाले ना कहीं लफ्ज़ों को ये तिश्नालबी,
तुम्हीं पे लिख के शेर तुमको सुनाया जाए
दोस्त समझा था जिन्हें सारे ही दुश्मन निकले,
दुश्मनों को ही चलो दोस्त बनाया जाए
दिन तो बीत गया सारा दुनियादारी में,
शाम ढलने लगी मैखाने में जाया जाए,
— भरत मल्होत्रा