अस्तित्व इतिहास बनेगी
पृथ्वी दिवस की औपचारिकता न निभाइए
भू संरक्षण करना है तो
धरातल पर कुछ करके दिखाइए।
माना की हम सब औपचारिकताओं में
जीने के आदी हो गए हैं,
मगर अपना और अपनों का भला चाहते हैं
तो सपनों से बाहर आइए।
भू बचाना चाहते हैं तो
जल, जंगल को बचाइए,
हरियाली का आधार मजबूत कीजिए
जल संरक्षण कीजिए
नदियों, नालों, सरोवरों और
जल स्रोतों को मान दीजिए
जल, जंगल, जमीन पर अतिक्रमण न कीजिए।
जीवन में खुशहाली के लिए
अपनी भी जिम्मेदारी निभाइए,
आधुनिकता के घमंड में
अपने पैरों पर कुल्हाड़ी न चलाइए।
माना कि आप बड़े मुगालते में हैं
मगर अब भी समय है
इस मुगालते से बाहर आइए,
जल, जंगल,भू संरक्षण कर
न अहसान जताइये,
अपना और अपनों का अस्तित्व बचाना है
तो सोइए मत! अब जाग जाइए
वरना इतिहास बनने के लिए
अब तो तैयार हो जाइए,
जब न जल बचेगा, न जंगल
और न ही जमीन बचेगी,
फिर इस धरा पर मानव का ही नहीं
जीवन का अस्तित्व इतिहास ही तो बनेगी।