कविता

ममता की छाँव

माँ की ममता और
उसकी ममता की छाँव,
धरा पर सबसे सुखद अहसास है,
सौभाग्य शाली हैं वे
जिन्हें खुद इसका आभास है।
माँ तो जैसे भी अपनी ममता लुटाती है
ममत्व की छाँव दे सुख का भान कराती है।
पर हम क्या कर रहे हैं,
कभी इस पर भी विचार कर रहे हैं?
नहीं न, तो अब भी समय है,
बिना विलंब विचार कीजिए
माँ क्या होती है जरा उनसे पूछिए
जिनकी माँ नहीं होती है।
माँ की अहमियत का अहसास हो जायेगा
सच मानिए, भूल सुधार का
एक अवसर तो मिल जायेगा।
भले ही उम्र कितनी हो जाये
हम स्वयं मां बाप बन जायें
या बाबा दादी भी बन जायें
फिर भी समझ में न आये
तो उस पल तो जरूर समझ आयेगा
जब माँ का साया सिर से उठ जायेगा।
माँ की ममता भरी छांव के बिना
जब कलेजा मुंह को आयेगा
तब माँ और उसकी ममता ही नहीं
ममता की छाँव का महत्व समझ में आ ही जायेगा,
मगर तब सिर्फ पछताने के सिवा
हमारे हाथ कुछ नहीं आयेगा,
सिर्फ माँ का ख्याल ही रह जायेगा
ममता की छाँव महज कल्पनाओं में शेष रह जायेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921