हिमालय की तरह अचल भारत- नेपाल मैत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नेपाल की यात्रा की, यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब विश्व का बहुत बड़ा हिस्सा युद्ध और हिंसा के वातावरण के दौर से गुजर रहा है। विश्व के कई देश कोविड महामारी के बाद आंतरिक अशांति से गुजर रहे हैं तथा पूरा विश्व समुदाय भारत की ओर आशा की दृष्टि से देख रहा है। इसके अतिरिक्त ये ऐसा समय है जब नेपाल में बहुत दिनों के बाद भारत का समर्थन करने वाली सरकार बनी है।
ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के पहले वाली सरकार पर चीन का प्रभुत्व था और चीन की शह पर नेपाल भारत के खिलाफ चल पड़ा था यहाँ तक कि उसने भारत के कुछ हिस्सों पर अपना दावा भी पेश करना शुरू कर दिया था जिसके कारण नेपाल और भारत सरकार के बीच सम्बन्धों की मधुरता समाप्त प्राय हो गयी थी। इसी बीच नेपाल में आतंरिक राजनैतिक उठापटक हुई और शेर बहादुर देउबा वहां के नए प्रधाननमंत्री बने जिसके बाद अब एक बार फिर भारत और नेपाल के बीच सकारात्मक वातावरण बना है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन नेपाल पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लुम्बिनी स्थित माया देवी मंदिर में पूजा अर्चना की और विश्व शांति का वरदान मांगा। प्रधानमंत्री ने वहां अशोक स्तम्भ के भी दर्शन किये और दीप जलाये। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार से लुम्बिनी में नेपाल की जनता को संबोधित किया वह एक बहुत ही सुखद व सकारात्मक संदेश दे रहा था और वह संबोधन कई मायने में ऐतिहासिक कहा जायेगा क्योंकि उसमें चीन सहित उन सभी लोगों को संदेश दिया गया जो यह समझ रहे थे कि नेपाल और भारत के बीच अब खाई इतनी गहरी हो गयी है कि उसे भरपाना बहुत ही मुश्किल है।
प्रधानमंत्री ने धर्म, आस्था, संस्कृति के समागम के साथ भारत -नेपाल मैत्री के नये युग की शुरूआत के संकेत दिये। प्रधानमंत्री ने अपनी नेपाल यात्रा के माध्यम से सारनाथ से लुंबिनी वाया कुशीनगर के विकास का खाका तैयार कर दिया है। इस बीच भारत और नेपाल के मध्य छह समझौते भी हुए तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के मध्य द्विपक्षीय वार्ता भी हुई जिसमें कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री का लुंबिनी में स्वागत वास्तव में बहुत अभूतपूर्व रहा ज ब वह मायादेवी मंदिर में पूजा अर्चना के बाद बाहर निकले तो लोग उनको देखने और उनसे मिलने के लिए आतुर हो रहे थे।सडक के दोनों ओर खड़े लोग भारत माता की जय की नारे लगा रहे थे। वहां के जनमानस में भारत के प्रति प्रेम उमड़ रहा था ऐसा प्रतीत ही नहीं हो रहा था कि यह लोग चीन की भारत विरोधी नीतियों से प्रभावित हो सकते हैं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लुम्बिनी में वहां उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया और लोगों ने जिस प्रकार से मोदी -मोदी के नारे लगाकर उनका स्वागत और समर्थन किया उससे भारत के प्रति उनके सजह प्रेम का अनुमान पूरे विश्व को हुआ ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लुम्बिनी में अपने सम्बोधन में कहा कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर से नेपाल के लोग भी खुश हैं जिसके बाद वहां उपस्थित जनसमुदाय में आनंद की नयी लहर दौड़ गयी। उन्होंने आगे कहाकि प्रभु राम के युग से ही नेपाल भारतीयों के लिए आस्था का केंद्र रहा है क्योंकि वह माता सीता का घर है। दोनों देश मिलकर मानवता के लिए काम करेंगे और पूरे विश्व में भगवान बुद्ध के शांति के संदेश को पहुंचाएंगे। वर्तमान वैश्विक हालात को देखते हुए तय है कि भारत और नेपाल का सम्बंध और मजबूत होगा। दोनों देशों के बीच सिर्फ व्यावसायिक सम्ंबध नहीं है अपितु सांस्कृतिक और सामाजिक सम्बंध भी हैं।
प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान भारत और नेपाल के बीच छह समझौते हुए हैं जिनमें भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और लुंबिनी बौद्ध विश्व विद्यालय के बीच डा. अम्बेडकर पीठ को स्थापित करने के लिए करार हुआ। नेपाली विश्व विद्यालय में भारतीय अध्ययन पीठ बनाने, काठमांडू विश्व विद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के मद्रास के बीच भी एक समझौता हुआ है। काठमांडू विश्व विद्यालय और आईआईटी मद्रास के बीच स्नातक स्तर पर संयुक्त डिग्री पाठयक्रम शुरू करने को लेकर भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गये हैं। सतलुज जल विद्युत् निगम और नेपाल इलेक्टिसिटी अथारिटी के बीच पनबिजली परियोजना लगाने के लिए समझौता हुआ है। साथ ही लुंबिनी और कुशीनगर को जुड़वा शहरों के रूप में विकसित करने पर भी दोनों देशों के बीच सैद्धांतिक समहति बनी है।
प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा से प्रेम, सौहार्द्र, भाईचारे की भावना की मजबूती पर बल दिया है। पीएम मोदी ने धर्म, शिक्षा, संस्कृति, व्यापार के बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करने की बात कही। प्रधानमंत्री ने लुम्बिनी में कहा कि सारनाथ, बोधगया, कुशीनगर और लुम्बिनी को जोड़कर बौद्ध सर्किट बनेगा। बुद्ध के सभी स्थानों को एक सूत्र में पिरोने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सारनाथ बोधगया कुशीनगर और लुबिंनी दोनों देशों की साझी विरासत है।
इन्हें साथ मिलकर विकसित करना है। प्रधानमंत्री का यह कहना कि भारत रिश्तों में नेपाल को हिमालय जैसी ऊंचाई देगा आगामी भविष्य के लिए बहुत कुछ संकेत दे रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि आठ वर्ष पहले हमने जो पौधा भेजा था अब वह वृक्ष होने जा रहा है। प्रधानमंत्री के नेपल दौरे की एक सबसे बड़ी विषेषता यह रही कि भारत -नेपाल सीमा सोनौली में इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट का निर्माण करीब 20 साल से अधर में है तथा किसानों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी मसला हल नहीं हुआ है लेकिन लुंबिनी में अपने संबोधन में उसका उल्लेख किया है जिसके कारण उसे भी संजीवनी मिल गयी है।
प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा से नेपाली पीएम देउबा भी बहुत गदगद नजर आ रहे थे । नेपाली पीएम देउबा ने कहाकि प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा विशे षकर लुम्बिनी को वैश्विक पहचान मिलेगी। उनके यहा आने से दोनो देशों के बीच सांस्कृतिक सम्बंधों को और मजबूती मिलेगी।
नेपाली शहर लुंबिनी में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के साथ हुई द्विपक्षीय मुलाकात से दोनो देशों के बीच विगत दिनो उपज रहे तनाव को दूर कर सम्बंध सशक्त करने में मदद मिली है। दोनों देशों की तरफ से शुरू होने वाले विशे ष कार्यक्रमों के अलावा कनेक्टिविटी, अर्थव्यवस्था, कारोबार, ऊर्जा के क्षेत्र में भावी समझौतों और परियोजनाओं पर भी बात हुई है। प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा से दोनों देशों के बीच मैत्री को और मजबूती प्रदान हुई है। प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा से पहले नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा भी रिष्तेरिश्ते सुधारने के लिए दिल्ली यात्रा पर आये थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाल के साथ रिश्तों को सुधारने व मजबूती प्रदान करने के लिए वहां के प्रमुख ऐतिहासिक मंदिरों व स्थलों का पहले भी भ्रमण कर चुके हैं तब परिस्थितियां कठिन थीं लेकिन वर्तमान में पहले से सुधार है।
— मृत्युंजय दीक्षित