प्रकृति
धरती-अंबर पर्वत-सागर,
कितने सुंदर लगते हैं,
हरे-भरे ये पेड़ सजीली,
जड़े नगीने लगते हैं.
स्वच्छ रखेंगे इनको ‘गर हम,
तो खुशियों के फूल खिलेंगे,
हवा-पानी स्वच्छ मिलेंगे,
चुस्त और तंदुरुस्त रहेंगे.
पेड़ों से फल-फूल हैं मिलते,
ऑक्सीजन भी मिलती है,
इन को कभी न काटो इनसे
छाया भी हमें मिलती है.
प्रकृति के रूप निराले,
इनकी रक्षा करनी है,
प्रकृति ही रक्षा करती,
प्रकृति ही जननी है.