2500 मील लंबी शब्द-यात्रा
शब्द परिणाम है,
शब्द सम्मान है,
शब्द प्रमाण है.
शब्दों से दुनिया में मेल है,
शब्द अगर इधर-उधर हो जाएं,
तो दुनिया में रेलमपेल है.
मन में भर देते उजाले… कुछ भर देते तम भी,
कुछ शब्दों की बिन कहे होती… कुछ शब्द अनबूझ पहेली भी
और कुछ शब्द बन जाते दोस्त… और कुछ हो जाते सहेली भी.
कुछ शब्द इकहरे होते हैं,
कुछ शब्द होते हैं धवल चांद से…
और कुछ शब्द सुनहरे होते हैं.
कुछ शब्द होते इंद्रधनुष से…
कुछ शब्दों पर पहरे होते हैं,
कुछ शब्द मचलते चंचल से…
और कुछ शब्द दिल में ही ठहरे होते हैं.’
हर शब्द में छिपा कोई अनकहा राज होता है
ज़ुबां कुछ कहे-न-कहे
अक्सर आशीर्वाद बिना आवाज होता है.
कहते ही दिल को छू जाते हैं,
कुछ शब्द रहते हैं मन में भरे हुए,
कुछ जीवंत-से और कुछ डरे हुए.
मुख से बोलें बोल,
कभी-कभी नयनों से बोलें,
सभी राज दें खोल.
शब्द मनभावन हों तो
फिर से खाद-पानी पाकर
अनेक रिश्ते ताजातरीन हो जाएं,
चुंबक की तरह आकर्षित होकर
अनेक नए रिश्ते स्वतः ही जुड़ जाएं,
स्नेह-प्यार की शीतल बयार से
आनंद की कलियां खिल पाएं,
अज्ञात जाज्ज्वल्यमान उजियारे से
चेहरे खुद ही दीप्तिमान हो जाएं.
शब्द अनभिमत हों तो
अनेक रिश्ते दरक जाएं,
अपने किनारा कर जाएं,
खिली कलियां मुरझा जाएं,
आती हुई बहारें सरक जाएं,
अंधियारों के दरीचे खुल जाएं.
सोच-समझकर खोलो
बोलने से पहले शब्दों को तोलो
एक भी शब्द व्यर्थ मत बोलो
जीवन में आनंद-रस घोलो,
इस तरह
शब्दों की खिड़कियां खोलो.
चाहा था शब्दों ने सिखाना केवल प्यार-ही-प्यार,
जाने कैसे शब्दों से ही नफरत का फैला जाल,
नफरत के बोलों से यह जग भूल गया है प्यार.
जाने कैसे वैर घुस गया, प्यार हुआ बेगार.
रिश्ते सारे चूर हो गए, भटक गया संसार,
बंद हुए कपाट खुशी के, प्यार दिखा बेकार.
आंख खुली रखने का लाभ,
मुश्किल भी हल हो जाती जब,
इनसे शक्ति मिले नायाब.
पल में ये विद्रोह कराते, पलक झपकते मेल,
जो भी इनका दास बना वह, हो गया जग में फेल,
इनको अपने बस में रखना, वरना ठेलमठेल.
जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम;
छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर;
जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम।
कोई सुने-न-सुने, माने-न-माने,
इन्हीं तरानों से चलती है दुनिया,
किसी को होती निराशा,
कोई बुने खुशी के ताने-बाने.
शब्द भी क्या चीज है?
महके तो लगाव
और बहके तो घाव.
शब्दों का वजन तो
बोलने वाले के भाव पर आधारित है
एक शब्द गाली हो जाता है
एक शब्द मंत्र हो जाता है
वाणी ही व्यक्ति के
व्यक्तित्व का परिचय करवाती है.
शरीर सुंदर न हो
पर शब्द सुंदर होना चाहिए
लोग चेहरा भूल जाते हैं
पर शब्दों को नहीं.
चुप रहना ही बेहतर है
जमाने के हिसाब से धोखा खा जाते हैं
अक्सर बहुत बोलने वाले.
शब्दों में भले गुंजन होता है
मौन में भी तरन्नुम होता है.
शब्द मौन हों तो मलाल नहीं,
मुखर हों तो ख्याल नहीं,
शब्द मौन रहकर भी वार करें,
जब करते शब्दों की संभाल नहीं.
सबको प्यार का पाठ पढ़ाना, नहीं सिखाना घात,
बात गांठ ली थी शब्दों ने, किया वही था काम,
जाने कैसे शब्दों ने फिर, वैर का सूत दिया कात!
कुछ अनमोल शब्द हमारी जिंदगी संवार देंगे,
उन्हीं का मतलब निकाला मनमाना, जिंदगी बिगाड़ देंगे.
शब्द भी भोजन की तरह हैं,
अगर खुद को पसंद नहीं है,
तो दूसरों को मत परोसिए.
शब्दों का सदुपयोग,
अपने आप में बहुत अच्छी चीज है,आड़े समय में काम संवारता है, ज्ञान भी बढ़ाता है,
शब्दों का दुरुपयोग,
अपने आप में बहुत बुरी चीज है,
खुद का भी नाश करता, परिवार-देश-समाज का भी,
मर्जी हमारी है, शब्दों से हम बिगड़ना चाहते हैं या संवरना!