गीत/नवगीत

संघर्ष

समय नहीं है अब सोने का, उठकर आगे आना है।
संघर्षों से लड़ कर हमको, जीवन सफल बनाना है।।

राह हजारों होते हैं जी, जो हमको भटकाते हैं।
पाँव पकड़ कर पीछे खींचे, समझ नहीं हम पाते हैं।।
बहरे मेंढक बन कर हमको, चोटी में चढ़ जाना है।
संघर्षों से लड़ कर हमको, जीवन सफल बनाना है।।

दुनिया वाले कहते सारे, तुम से ना हो पायेगा।
राह कठिन है देखो आगे, दलदल में फँस जायेगा।।
कहते हैं तो कहने देना, कर के हमें दिखाना है।
संघर्षों से लड़ कर हमको, जीवन सफल बनाना है।।

लक्ष्य साध कर चलते हैं जो, वही सफल हो पाते हैं।
चुभे पाँव में काँटे फिर भी, दर्द सहन कर जाते हैं।।
दृढ़ निश्चय कर आगे बढ़ना, करना नहीं बहाना है।
संघर्षों से लड़ कर हमको, जीवन सफल बनाना है।।

मंजिल अपनी मिल जाती है, मात पिता खुश होते हैं।
देख सफल अपने बच्चों को, नींद चैन की सोते हैं।।
यही रीत है दुनिया की तो, हँसना और हंँसाना हैं।
संघर्षों से लड़ कर हमको, जीवन सफल बनाना है।।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ Priyadewangan1997@gmail.com