ग़ज़ल
करो काम वरना गुज़ारा नहीं।
जगत में किसी का सहारा नहीं।
अभी तक नहीं आप आए यहाँ,
न कहना कि हमने पुकारा नहीं।
विपति काल में ईश ही साथ है,
दिखा और कोई हमारा नहीं।
रही ज़िन्दगी तो मिलेंगे कभी,
मुलाक़ात पर कुछ विचारा नहीं।
बहुत ठोकरें खा चुके हम यहाँ,
अधिक और सहना गँवारा नहीं।
हमें राम जी की शरण भा गयी,
प्रभू की कृपा बिन किनारा नहीं।
— रेखा मोहन