कविता

यह मेरा प्यारा हिंदुस्तान है

यह   मेरा  प्यारा  हिंदुस्तान  है
इसकी  गौरव  बड़ी   महान  है
तेरा   सुपावन  अद्भुत  नाम  है
तुझे शत–शत  मेरा  प्रणाम  है।

जहां   होता  अनुपम  प्रभात  है
जहां घंटियों की आती निनाद है
जहां शंख ध्वनि की शंख नाद है
जहां स्तुति गान और अरदास है।

जहां  सूरज  का  पड़े  प्रकाश है
और  हर  लेते  तमस का नाश है
जहां  फूल–कली की मुस्कान है
जहां  पंछी  करते  गौरव–गान है।

मेरे देश की चंदन पावन  माटी है
यह तो  अनमोल हमारी  थाती है
इस मिट्टी में ही शस्य–श्यामला है
जहां की हरियाली रंग–रंगीला  है।

यहां  ही  बहते  सरिता निर्मल है
जहां  त्रिवेणी  संगम कलकल है
जहां गंगा जमुना..  की  धारा  है
जो पतित पावन जग से न्यारा है।

यह  देव धर्म की पावन धरती है
जहां ज्ञान भक्ति  धारा  बहती है
यहां  पुण्य  तीरथ  चारो  धाम है
तेरा अखंड भारत पावन नाम है।

— अशोक पटेल ‘आशु’

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578