लघुकथा

लघुकथा – पसंद-नापसंद

विद्यालय के विशाल कक्ष में दसवीं कक्षा के बच्चों को एकत्रित किया गया था। एक प्रसिद्ध प्रवक्ता को वहां बुलाया गया था, जो व्यवहारिक रूप से एक दृष्टांत के माध्यम से अपनी बात समझाने के लिए जाने जाते थे। प्रवक्ता ने उस विशाल कक्ष में प्रवेश किया। उनके साथ दो लोग और थे, जिनके पास दो टोकरियाँ थीं, जिनमें अलग-अलग किस्म के फल थे। उन्होंने मंच पर आते ही सभी को प्रणाम किया, और अपने साथ आए दोनों व्यक्तियों को वहां उपस्थित सभी बच्चों को एक-एक फल वितरित करने को कहा। उन दोनों ने टोकरी से निकालकर एक-एक फल सभी को पकड़ा दिया।
प्रवक्ता ने कहा, “आप सभी बच्चे पांच मिनट में अपने-अपने फल को खा लें।”
बच्चों ने फल खाने शुरू कर दिए। पांच मिनट के बाद प्रवक्ता ने कहा, “जिन-जिन बच्चों ने फल नहीं खाए, वह हाथ खड़ा करें।” कुछ बच्चों ने हाथ खड़े कर दिए।
प्रवक्ता ने पूछा, “आपने फल क्यों नहीं खाए?”
बच्चों का जवाब था, “यह फल हमें बिल्कुल पसंद नहीं हैं।”
प्रवक्ता महोदय ने फिर पूछा, ‘अब जिन-जिन बच्चों ने फल खा तो लिया, पर पूरा नहीं खाया, क्योंकि उनकी पसंद का नहीं था, वे अपना हाथ खड़ा करें।” इस पर भी कुछ हाथ खड़े हो गए।
“अब वे लोग हाथ खड़ा करें, जिनको यदि दूसरा मनपसंद फल दिया जाता, तो वे वही खाते, जो खाना पड़ा वह नहीं..।” प्रवक्ता ने कहा। इस पर काफी बच्चों के हाथ खड़े हो गए।
“तो बच्चों यह है हमारा आज का सबक”, प्रवक्ता ने कहना शुरू किया, “यदि हम अपनी मर्जी से फल वितरित न करके, आपसे अपनी-अपनी पसंद का फल उठाने के लिए कहते; या पहले से ही आप से पूछकर आपकी पसंद के अनुसार फल वितरित करते, तो आप सभी को खुशी मिलती, हम भी खुश होते। दूसरा, यदि आपको आपको आपस में फल बदलने का अवसर दिया जाता, या आप सभी स्वयं आपस में बदल लेते; तो भी अधिकतम को पसंदीदा फल खाने को मिलता। कहने का तात्पर्य यही है कि जब तक हम एक-दूसरे की पसंद- नापसंद का ध्यान रखते हुए, एक दूसरे के साथ स्नेह और सहयोग की भावना रखेंगे, मिलजुल कर रहेंगे, तब तक हमें खुशी मिलती रहेगी, और हमारे दुख, कष्ट और कमियां न्यूनतम रहेंगीं…।”

— विजय कुमार

विजय कुमार

पिता ः श्री रतनलाल माता ः श्रीमती पार्वती देवी जन्म ः 30-03-1974 शिक्षा ः ऑनर्स इन हिन्दी (प्रभाकर), कहानी-लेखन महाविद्यालय, अम्बाला छावनी से लेखन व पत्रकारिता के कोर्स। लेखन ः देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित। विधाएं ः लघुकथा, सम-सामयिक लेख व अन्य संपादन ः 1. शुभ तारिका (मासिक), सह-संपादक 2. हर वर्ष पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग, मेघालय से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘पूर्वोत्तर वार्ता’ स्मारिका का प्रबन्ध संपादक विशेष ः विकिपीडिया पर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियन द ग्रेट खली दलीप सिंह राणा पर एक लेख ‘महाबली खली ने मचाई खलबली’ सहभागिता ः हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के 65वें अधिवेशन : विश्वभारती, शान्तिनिकेतन पश्चिम बंगाल, दि. 16-18 मार्च 2013 को सक्रिय रूप से भाग लिया। सम्मान ः हिमालय और हिन्दुस्तान फाउण्डेशन, ़ऋषिकेश, उत्तराखण्ड द्वारा पत्रकारिता एवं लेखन में उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मान 2010 पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग, मेघालय द्वारा ‘केशरदेव गिनियादेवी बजाज स्मृति सम्मान-2013’, ‘श्री जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान-2015’, ‘अनूप बजाज युवा लेखक सम्मान-2018’, ‘प्रोग्रेसिव फाउंडेशन’ की ओर से स्मृति चिह्न, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ, उ.प्र. की जिला सहारनपुर इकाई द्वारा आयोजित जिला सम्मेलन एवं संगोष्ठी के अवसर पर सम्मान 2014 सखी साहित्य परिवार, गुवाहाटी, असम की ओर से साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मान भारतीय लघुकथा विकास मंच, पानीपत, हरियाणा द्वारा माधवराव सप्रे की जयंती के अवसर पर ‘लघुकथा दिवस रत्न सम्मान-2020’, वरिष्ठ लघु कथाकार उर्मिला कौल की स्मृति में लघुकथा उत्सव के अवसर पर ‘उर्मिला कौल स्मृति लघुकथा रत्न सम्मान-2020’, हिन्दी साहित्य प्रेरक संस्था, जींद, हरियाणा, संस्कार भारती, जींद, हरियाणा द्वारा ‘हिन्दी दिवस’ 14 सितम्बर 2020 के अवसर पर ‘लघुकथा लेखन एवं वाचन प्रतियोगिता’ में लघुकथा वाचन हेतु ‘प्रतिभागी प्रमाण पत्र’ प्रसारण ः आकाशवाणी, शिलांग, मेघालय से रचनाएं प्रसारित। विशेष ः पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा तीसरी कक्षा पाठ्यक्रम हेतु लघुकथाएं स्वीकश्त। अनुवाद ः विभिन्न लघुकथाओं का अंग्रेजी, मराठी एवं बंगला में अनुवाद। सम्प्रति ः सह-संपादक ‘शुभतारिका’ ;मासिकद्ध, प्रबन्धक ‘कहानी-लेखन महाविद्यालय’, अम्बाला छावनी अभिरुचियां ः पर्यटन, फोटोग्राफी, मित्रता, अध्ययन-मनन, क्रिकेट, नेक कार्यों में रुचि। संपर्क ः 103-सी, अशोक नगर, अम्बाला छावनी-133001, हरियाणा मोबाइल : 9813130512, ई-मेल : urmi.klm@gmail.com