लघुकथा

अनजान यौवन

रीमा के घर के पास हर समय आवाजें आती थीं, “मर क्यों नहीं जाती कमली| कोई काम नहीं आता, न अक्ल-सहुर बस हर वक़्त दांत निकालती रहती हो|” ये गरीब पड़ोसन आमदन कम होने की वजह से घरों में काम करती थी| बेटे को सब्जी की रेहड़ी लगवा दी और बेटी कमली को लापरवाह और लड़कों के साथ खेलते रहना माँ को बहुत खलता रहता| पड़ोसन रीमा उसको कभी कभी प्यार से बुला कुछ ना कुछ खाने को दे देती| रीमा ने एक दिन देखा वो गलत लड़कों के साथ गंदी गाली देती कंचे खेल रही है| लड़के उसको अश्लील भी बोल रहे थे, अचानक वारिश आने पर वो नाचती सी अपने होश में नहीं लग रही थी| रीमा ने ये देखा उसे भी बुरा लगा| उसने कमली को बुलाया और बोली, “कमली, ये सूखे कपड़े पहन लो नहीं तो तुम्हारी माँ तुम्हें डाटेंगी| रीमा ने कमली को चाय पिलाई और बोला, “तुम मेरे घर सफाई का काम करो मैं तुझे कपड़े और पैसे सब दूंगी| तुम अपनी माँ को पूछ मुझे बता देना|” कमली रीमा के घर काम करने लगी और बोलना, पहनना, बड़ों का मान सम्मान करना ये बातें सीख कम बोलने लगी| धीरे धीरे रीमा के पास पढने भी लगी| अचानक कमली की माँ को पास ही साइकिल की दूकान वाले ने कमली के साथ शादी की बात करी| कमली अनजान यौवन से बेखबर एक बेटे की माँ बन उससे बातें करती खेलती |

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]