अनजान यौवन
रीमा के घर के पास हर समय आवाजें आती थीं, “मर क्यों नहीं जाती कमली| कोई काम नहीं आता, न अक्ल-सहुर बस हर वक़्त दांत निकालती रहती हो|” ये गरीब पड़ोसन आमदन कम होने की वजह से घरों में काम करती थी| बेटे को सब्जी की रेहड़ी लगवा दी और बेटी कमली को लापरवाह और लड़कों के साथ खेलते रहना माँ को बहुत खलता रहता| पड़ोसन रीमा उसको कभी कभी प्यार से बुला कुछ ना कुछ खाने को दे देती| रीमा ने एक दिन देखा वो गलत लड़कों के साथ गंदी गाली देती कंचे खेल रही है| लड़के उसको अश्लील भी बोल रहे थे, अचानक वारिश आने पर वो नाचती सी अपने होश में नहीं लग रही थी| रीमा ने ये देखा उसे भी बुरा लगा| उसने कमली को बुलाया और बोली, “कमली, ये सूखे कपड़े पहन लो नहीं तो तुम्हारी माँ तुम्हें डाटेंगी| रीमा ने कमली को चाय पिलाई और बोला, “तुम मेरे घर सफाई का काम करो मैं तुझे कपड़े और पैसे सब दूंगी| तुम अपनी माँ को पूछ मुझे बता देना|” कमली रीमा के घर काम करने लगी और बोलना, पहनना, बड़ों का मान सम्मान करना ये बातें सीख कम बोलने लगी| धीरे धीरे रीमा के पास पढने भी लगी| अचानक कमली की माँ को पास ही साइकिल की दूकान वाले ने कमली के साथ शादी की बात करी| कमली अनजान यौवन से बेखबर एक बेटे की माँ बन उससे बातें करती खेलती |
— रेखा मोहन