कविता- जिंदगी एक रंगमंच
जिंदगी इस रंगमंच पर सब कलाकार ही तो है
हर कोई अलग अलग किरदार निभा रहा है
कोई अपनो से दुख से परेशान कोई ख़ुशी मना रहा है
तीन सीढ़ियां जिंदगी की बचपन ,जवानी ,बुढापा आता है
जिंदगी में कितने सपनों को हम साकार करते है
कभी कोई सपना बिखर कर टूट जाता है
इसका कोई हिसाब किताब नहीं होता है
ऊपर बैठा वो मालिक के हाथ में सब कुछ होता है
फिर भी कलाकार अपने किरदार में जान डाल देता है
सफल कलाकार का ताज उसी कलाकार को मिलता है
जो दुख में भी मुस्कराता रहता है
जीवन के इस खेल में कई मोड़ आते है
कोई हार जाता कोई जीत जाता है
कोई गुमनामी के अंधेरे में खो जाता है
जिस कलाकार का अभिनय अच्छा होता है
जिंदगी भर जीने के लिए नाटक करते है
वह मरने के बाद भी याद किया जाता है
मरने के बाद कलाकार की उपाधि दी जाती है
जीवन में अभिनय खत्म होने के ऊपर वाला बुलाने में देर नहीं लगाता है
कलाकार दुनियां को हँसा कर रुलाकर विदा ले लेता है
— पूनम गुप्ता