सामाजिक

गृहस्थी – रिश्तों में सामंजस्य जरूरी है

संयुक्त परिवार में रहने वाले लोगों से घर स्वर्ग बन जाता है और इस घर में रहने वाले लोगों के आचरण से बनता है खुशनुमा माहौल। लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जिसकी वजह से खुशनुमा माहौल गलतफहमी की वजह से और एक दूसरे को नीचा दिखाने की वजह से कलह पूर्ण बन जाता है। कभी बेटे बहू दोषी होते हैं तो कभी सास सुसर दोषी होते हैं। घर में जिसका पलड़ा भारी होता है उसी की चलती है उसी की बात सही होती है भले ही वह गलत क्यों ना हो! सास-ससुर जब अधिक बूढ़े हो जाते हैं उनसे कोई काम नहीं हो पाता और पैसे उनके पास नहीं होते तब बेटे बहू उन पर हावी हो जाते हैं। और जब सास-ससुर स्वस्थ होते हैं धनोपार्जन करते रहते हैं तब वह बहू बेटे पर हावी हो जाते हैं। सभी एक दूसरे की सत्ता को कायम रखने के लिए अपने को सर्वोच्च मानते हैं घर में सर्वेसर्वा बनने की मानसिकता परिवार को अक्सर तोड़ देती है। यह दोनों ही स्थितियां परिवार के लिए गलत है खुशियां इनसे घर में कभी नहीं आ पाती है। कैसे इन हालातों से खुद को बचाया जा सके यही सोचने में पूरा जीवन व्यतीत हो जाता है।
घर कोई अखाड़ा नहीं या जंग का मैदान नहीं होता है यह तो एक स्वर्ग है, मंदिर है जहां कई रिश्ते एक ही छत के नीचे बनते हैं। बहू को सिर्फ आजादी ही ना दें बल्कि उनकी जरूरतों का भी ख्याल रखें बहू अपने पति के साथ कहीं जाना चाहती हैं तो उसमें उसकी खुले मन से मदद करनी चाहिए और बेटा उसे साथ ले जाने में संकोच कर रहा हो तो उससे कहे कि “ले जा! इसे कहीं घुमा फिरा ला”। ऐसा कहने से बहू सास के प्रति सदा ही कोमलता का रवैया अपनाती है। इसके विपरीत यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती है तो कलह निश्चित है। ससुर अपनी बहू को हर काम के लिए आवाज देते रहते हैं, वह बल्कि अपना काम खुद करें और बेटे को विवाहित जीवन में शांति बनाए रखने की सलाह देता रहे। अधिकांश ससुर बेटे को भड़काने का ही काम करते हैं “दिन भर कमरे में ही पड़ी रहती है तेरी मां काम करती रहती है आवाज देने पर सुनती नहीं है!” ऐसी बातें ना बोल कर यह कहे कि “अभी वह मैच्योर नहीं है, जिम्मेवारी नहीं समझती है, तो क्या हुआ तेरी मां है ना! धीरे-धीरे सब समझा देगी”। यह सब शब्द बेटे को सुकून पहुंचाते हैं और बहू को भी ससुर से जोड़ते हैं। बहू बेटे में कभी किन्हीं कारणों में बोलचाल बंद हो जाए तो सास को कभी भी मंथरा जैसी भूमिका नहीं निभानी चाहिए, बल्कि सास ससुर का फर्ज है बहू को समझाने का। बहुत से सास-ससुर ऐसे होते हैं जो तटस्थ बने रहते हैं यह आचरण गलत है बहू बेटे की आपस में बढ़ती रंजिश एक दूसरे के लिए भी खतरनाक साबित होती है क्योंकि ऐसे में बेटे बहू यही सोचते हैं कि “यह लोग हमारे आपसी में झगड़ों से खुश हैं”। सास ससुर ढाल बनकर मध्यस्थ का रोल अदा करें और अपने अनुभवों को उनके साथ शेयर करें इसमें बेटे बहू की आपस की रंजिश दूर होती है। इतना होने से बेटे बहू में आपसी तालमेल अच्छा होगा उतना ही इसका लाभ सास-ससुर को मिलेगा। बेटे बहू का शुरू शुरू में सास ससुर सहयोग तो करते हैं उन्हें पूरी आजादी भी देते हैं उनके प्रति संवेदनशील भी बने रहते हैं उनके बीच कोई शक पैदा नहीं होने देते हैं उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं तो वह भी आपके बुढ़ापे का सहारा बनते हैं, क्योंकि आप के प्रति उनके मन में पहले से यह छवि जो बनी हुई होती है कि मम्मी पापा ने जब हमें कभी परिवार से अलग नहीं समझा हमारे बीच गलतफहमियां पैदा होने नहीं दी तो फिर हम इन्हें बुढ़ापे में बेसहारा क्यों छोड़े? आप शायद नहीं जानते बहू बेटों को गुमराह ज्यादातर सास ससुर ही करते हैं और जब बेटे बहू इस बात को जान जाते हैं तो उनसे बदला लेना शुरू कर देते हैं। ऐसी नौबत ही क्यों आती है जब वह नव दंपत्ति हो तब जितना आप से संभव हो सके उनकी मदद करें ताकि वे भी आपको अपने से अलग न समझें और आपको उम्र के हर पड़ाव पर सहारा दे।
यदि आज आप का पलड़ा भारी है तो आप बहू बेटों को तरह तरह की मानसिक यातनाएं ना देकर उन्हें खाने-पीने सोने जागने घूमने फिरने की पूरी छूट दें, ताकि आपके प्रति उनकी फीलिंग पॉजिटिव ही रहे। किसका पलड़ा भारी और किसका हल्का है इसका ध्यान ना कर इस बात का ध्यान रखें कि बेटा अपना है और बहू उसकी पत्नी है। यानी दोनों को समान रूप से साथ ससुर समझे, तो घर में कभी कलह ही नहीं होगी। यदि बहू को आप टेंशन देंगे तो बेटे को भी टेंशन होगी फिर बेटा आपको टेंशन देने लगेगा। टेंशन देने लेने का सिलसिला बेटे बहू को ईर्ष्यालु बनाता है। वह आपके प्रति सामान्य बने नहीं रह पाते हैं। यह असमानता ही सास ससुर को उपेक्षित वस्तु बना देती है। घर गृहस्थी में बहू बेटे से बना कर रखना जरूरी है तभी वह सास-ससुर को बुढ़ापे में भी अकेला नहीं छोड़ेंगे। जिसका वक्त है वह प्रताड़ित करेगा यह सोच गलत है! ऐसा ना कर हमेशा एक भाव रहे। बच्चे जैसे भी हैं अच्छे हैं साथ ससुर की ऐसी सोच बहू बेटों को संवेदनशील बनाती है और यह संवेदनशीलता ही बहू बेटे ता आदरणीय बनाए रखती है।
सभी माता पिता अपनी संतान को निःस्वार्थ भाव से पालते हैं उनसे यह अपेक्षा करते हैं कि बड़े होकर यह हमारा साथ देंगे। यदि बेटे की शादी के बाद माता-पिता अपनी बहू के साथ गलत व्यवहार करते है तो इसका असर गृहस्थी पर पड़ता ही है। अपने अधिकारों का नहीं, जज्बातों का इस्तेमाल कीजिए उन्हें भरपूर प्यार दीजिए। निःस्वार्थ भाव से बुने गए रिश्ते ही मजबूती पाते हैं।
सभी मिलकर एक दूसरे का सम्मान, एक दूसरे का साथ दें और परिवार में एक दूसरे की सुख सुविधाओं का ख्याल रखें। जैसे आप एक घर में रहकर अलग-अलग रहते हैं ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो पाए, तो इसके लिए आपको एक दूसरे को समझना बेहद आवश्यक होता है। सास-ससुर, माता-पिता, बहु-बेटा यह सभी एक दूसरे को समझे एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करें, तो कभी घर अखाड़ा ना बन पाएगा। मैं सर्वेसर्वा हूं! मैं सक्षम हूं इस तरह की अहम की भावना अपने मन में ना लाएं, तभी परिवार की धुरी एक स्थान पर रह सकती है।
— पूजा गुप्ता

पूजा गुप्ता

कार्य :हाउस वाइफ जन्म स्थल:-जबलपुर मध्य प्रदेश माता :-रुक्मणी देवी गुप्ता पिता:-स्वo संत लाल गुप्ता शिक्षा:-बी०ए ग्रेजुएट (आर्ट्स) पता:-मिर्जापुर उत्तर प्रदेश कार्य क्षेत्र:-कवियित्री एवं लेखिका कृतियाँ:-मेरे मन के भाव (मन:स्थली) पहली और दूसरी काव्य रचना और विभिन्न राज्यों के पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित रचना तथा अन्य राज्यों के अखबारो मे कई काव्य साँझा संकलन मे सम्मिलित सम्मान और रचना। सम्मान:- 1-राजश्री साहित्य अकादमी मंच द्वारा सम्मानित। 2-काव्य मंजरी सहभागिता पत्र। 3- काव्य फाउंडेशन मंच द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त। 4-काव्य कुमुद मंच द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त। 5-गोपाल दास नीरज अखिल भारतीय साहित्य संस्थान मंच द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त। 6-पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा ऑनलाइन प्रतियोगिता में सम्मान पत्र प्राप्त। 7-शब्द ग्राम मंच द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त। 8-काव्य मंच-मेघदूत द्वारा प्रशस्ति पत्र प्राप्त। 9-नवल रश्मि-एक भोर नयी मंच द्वारा प्रशस्ति पत्र प्राप्त। 10-विभूति काव्य मंच द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त । 11-साहित्य संगम संस्थान की सभी इकाइयों मे सम्मान पत्र प्राप्त। 12- अंतर्राष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार की ओर से सावन ब्यूटी अवार्ड विजेता 13- ज्ञानोत्कर्ष अकादमी द्वारा बेस्ट टीचर का सम्मान पत्र प्राप्त 14-वनिता पत्रिका मंच द्वारा विजेता घोषित फोन नंबर - 7007224126