कविता

मैं शिव सूत्र शिवानी हूं

मैं शिव सूत्र शिवानी हूँ ।
अर्ध रात्रि की ख़ामोश नीलिमा की तरह ..,
मुझे भी अपनी आगोश में लेकर..,
मदहोश नीलिमा बना दो ।।
मैं समर्पण सूत्र शिवानी हूँ ।
नील कमल की पंखुड़ियों की तरह..,
मुझे भी अंग अंग को रंगकर..,
सराबोर नीलिमा बना दो ।।
मैं सम्पूर्ण सूत्र शिवानी हूँ ।
झील की नील जल में..,
मध्यम मध्यम लहरों की तरह..,
हे नीलकण्ठ…!
सांसों से होते हुए रूह तक..,
मुझे भी नीलमय कर दो ।।
तुम मुझ में और मैं तुझ में..,
समा जाऊँ..,
इस तरह का कोई प्रलय कर दो।
— मनोज शाह ‘मानस’

मनोज शाह 'मानस'

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