अनुशासन
हे अनन्त रमणीक अनुशासन,
कलयुगी महामानव अनुशासन
श्रद्धवत् वंदन नमन अनुशासन
तेरा हर सत्कार अनुशासन।
है बारम्बार अनुशासन।
तू कितना स्वच्छ था कल तक,
सहज जीवन से आता था,
यू निष्ठुर बन गया अतिसय,
प्रकृति मे हर क्षण तू समता था,
जो स्मित दान दया धर्म था तेरा,
कभी मान- अभिमान मेरा था।
अब हृदय मे शूल सा क्यू हो
अंजन सा दृगो मे तू समता था।
वह तेरा प्रतिबिम्ब था कोमल
आचरण व विचार नाम तेरा था
न विकृत रूप धर शासन
तेरा हर सत्कार अनुशासन
है बारम्बार अनुशासन।
— बिन्दू चौहान