Author: बिन्दू चौहान

कविता

अनुशासन

हे अनन्त  रमणीक  अनुशासन,कलयुगी महामानव अनुशासनश्रद्धवत् वंदन नमन अनुशासनतेरा   हर   सत्कार  अनुशासन।है       बारम्बार      अनुशासन।तू कितना स्वच्छ था  कल तक,सहज   जीवन  

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