हर शख्स मुहब्बत करता है
हर दिल में कभी बसता है कोई,
हर शख्स मुहब्बत करता है।
इंसान की फ़ितरत है विरही,
हर कोई किसी पर मरता है।
दिल है तो प्यार करेगा ही,
हर दिल में प्यार उमड़ता है।
ले प्यार फुहारा सावन सा
बरसाने प्यार घुमड़ता है।
ज़ब दो प्रेमी मिल जाते हैं,
तब प्रेम का झरना झरता है।
मरुभूमि सरीखे सूखा है,
जिस दिल में प्रेम नहीं बसता।
वह दिल ही क्या बर्बाद चमन,
बन फूल प्यार जो ना हँसता।
यह प्यार उसी रब की नेमत,
जो पीर हमारी हरता है।
बिन प्यार अधूरा है जीवन,
सूना -सूना संसार लगे।
सब कुछ खाली -खाली लगता
यह जीवन ही बेकार लगे।
है रीत जहाँ की बेदर्दी दिल
देख वफ़ा को डरता है।
— वीरेन्द्र कुमार मिश्र ‘विरही’