हर दिल में कभी बसता है कोई, हर शख्स मुहब्बत करता है। इंसान की फ़ितरत है विरही, हर कोई किसी पर मरता है। दिल है तो प्यार करेगा ही, हर दिल में प्यार उमड़ता है। ले प्यार फुहारा सावन सा बरसाने प्यार घुमड़ता है। ज़ब दो प्रेमी मिल जाते हैं, तब प्रेम का झरना झरता […]
Author: वीरेन्द्र कुमार मिश्र 'विरही'
पिताजी
लाखों में एक हजारों में, दुनिया के लाख सहारों में। दम ठोंक आज कहता विरही, सम्बन्ध पिता का प्यारों में। वटवृक्ष सरिस छाया जिसकी, भगवान सरिस माया जिसकी। अपनी संतति के लिए जिए, माता समान दाया उसकी। कम खाकर भी जी लेता है, अपने आँसू पी लेता है। सहता है शीत-घाम सब कुछ, बच्चों को […]
विषमता
कहीं उदासी का मौसम है कहीं बज रही शहनाई। कहीं नीर बहते नैनों से कहीं ख़ुशी की पहुनाई। कहीं उजड़ता चमन किसी का कहीं मन रही दीवाली। बच्चा दिल रो रहा किसी का कहीं मन रही खुशहाली। करुण कहानी कहते काजल बहते जाते आँखों से। कहीं मस्त परवाज कहीं घिसटे हैं टूटी पाँखों से। अजब […]
यादें
हर वक़्त किसी की याद मुझे आती ही रही आती ही रही। मन उसमें ही बस रमा हुआ यादें उसकी तड़पाती रहीं। कई बार जतन किये लाख मगर क़ोई भी नतीजा मिला नहीं। मन जहाँ लगा बस अड़ा रहा पागल थोड़ा भी हिला नहीं। जाने को नहीं तैयार हुईं लहरों जैसी बल खाती रहीं। आने […]
पद
मैया याद तिहारी आवे।मखमल सेज नींद नहीं आवत लोरी कौन सुनावै।छप्पन भोग थाल सजि आवत माखन कौन खवावै।गोपी, ग्वाल बाल संग नाहीं खेला कौन खेलावै।लकुटि कमरिया गोकुल रही गे गैया कौन चरावै।चक्र सुदर्शन साथ हाथ के मुरली कौन बजावै।जमुना तीर कदम्ब की छैँया अब को रास रचावै।प्रीत बसी गोकुल मन विरही कैसो कान्ह भुलावै।राधा अस […]
जीना सीख लिया
दिल का दर्द छिपाकर विरही,जिसने जीना सीख लिया।उनको नमन हमारा जिसने,आँसू पीना सीख लिया। हार न मानी थके नहीं जो,चलने का संकल्प लिया।तोड़ वर्जनाओं को जिसने,जय का सिर्फ विकल्प दिया।बने वही तारीख जहाँ में,लक्ष्मण रेखा खींच दिया। लक्ष्य साधने में जो तन्मय,बाधाएं जिनसे हारीं।बढ़ते गये अहर्निश मग में,मिली उन्हें मंजिल प्यारी।तन-मन-धन दे धुन का अंकुर,साहस […]